Trending Sad Shayari 2025 in Hindi

  1. जब तक उसके पास था । बहुत तड़पाया उसने, आज जब सुकून से हमेशा के लिए सोया हूँ । वो मेरी कबर पर जगाने आई है , अपनी आँसुओ से जगा रही है मुझे ,,,, पूरा पढ़ों ,,, बिलकुल, नीचे आपकी दी गई शायरी को और भी दर्द और भावनाओं से भरकर एक गहराई भरा रूप दिया गया है, जिसे आप 3 मिनट के सैड रील्स में इस्तेमाल कर सकते हैं:

    “कब्र पर मेरे रोने आई है…”
    कब्र पर मेरे रोने आई है,
    प्यार है ये जताने आई है,
    जब जिंदा था तो नजरें चुराईं,
    अब तस्वीर सीने से लगाने आई है…
    हर साँस में दर्द भरती रही,
    मेरी चुप्पियों से डरती रही,
    जब ज़िन्दगी में तन्हा छोड़ गई,
    अब मिट्टी को गले लगाने आई है…
    तेरी हर बात में इल्ज़ाम था मेरा,
    तेरे हर आँसू का पैग़ाम था मेरा,
    आज खुद को गुनहगार कहती है,
    जब मैं खाक में सो गया, तब पछताने आई है…
    मैं इंतज़ार करता रहा शाम-ओ-सहर,
    तेरा नाम लेता रहा हर एक पहर,
    अब जब मौत ने बाँहों में लिया,
    तू आँखों में आँसू सजाने आई है…
    जो लफ्ज़ तूने कभी कहे नहीं,
    जो ख्वाब तूने कभी सहे नहीं,
    आज उन अधूरे जज़्बातों के साथ,
    तेरा अफ़सोस सुनाने आई है…
    सोचता हूँ… अगर ज़िन्दा होता मैं,
    क्या तब भी आती यूँ तू रोने?
    या फिर एक और ताना दे जाती,
    किस्मत को ही फिर से कोसने?
    पर अब नहीं कोई शिकवा बाकी,
    ना मोहब्बत की कोई रस्म अधूरी,
    इस कब्र में सुकून से हूँ मैं,
    मत आ… मुझे फिर से तड़पाने आई है…जब तक मै जिंदा था , उसने मेरे प्यार का कोई परवाह नहीं किया । आज मरने के बाद आँसुए बहा रही हैं ।



    2. “दिल का दर्द बताया नहीं जाता…”
    दिल का दर्द बताया नहीं जाता,
    ग़मों का ज़हर हर किसी को पिलाया नहीं जाता,
    ये जो मुस्कान है चेहरे पर देख रहे हो,
    हर आँसू को यूँ सवारा नहीं जाता…
    हर रात दिल में तूफान उठता है,
    पर किसी से भी कुछ कहा नहीं जाता,
    टूटकर भी खुद को समेटे बैठा हूँ,
    क्योंकि जमाने को हर जख्म दिखाया नहीं जाता…
    इस चेहरे को जी भर के देख लो,
    अब कुछ ही सांसें बाकी हैं,
    कफन बार-बार हटाया नहीं जाता,
    ये आख़िरी दीदार है… फिर कोई मुलाक़ात नहीं आती…
    तू समझा ही नहीं मेरे सन्नाटों को,
    मेरे टूटे हुए ख्वाबों के टुकड़ों को,
    अब जो मिटी में दब गया हूँ मैं,
    तो तेरे अश्कों की कीमत क्या बताई जाए?..
    मेरे सीने पर रखे गुलाब से पूछ लेना,
    कभी किसी ने वहाँ धड़कनें भी सुनी थीं,
    अब तो बस ठंडी मिट्टी है…
    कहाँ अब वो सिसकियाँ दोहराई जाती हैं…
    जो मोहब्बत मेरी रगों में बहती थी,
    अब वो ही मिट्टी में मिल गई है,
    जिसे दुनिया तन्हा कहती थी,
    वो रूह अब खुदा की गलियों में छुप गई है…
    (अंतिम पंक्तियाँ)
    बचा है तो बस एक नाम… इस पत्थर पर,
    एक तारीख… और चंद सूखे फूल,
    बाकी मैं चला गया हूँ…
    जहाँ से कोई लौट कर आया नहीं जाता…

    3. बहुत ही गहरी और दर्दभरी शायरी है , जरा गौर कीजिएगा –

    “हमने हाथों में फूल उनके लिए सजा रखा था…”
    हमने हाथों में फूल उनके लिए सजा रखा था,
    हर दुआ में बस उनका नाम रखा था,
    कमबख्त हमें क्या पता था…
    उन्होंने पीठ पीछे खंजर छुपा रखा था…
    हम तो उनकी खुशी में ही जीते रहे,
    हर दर्द चुपचाप सीने में सीते रहे,
    वो हर बार मुस्कुरा कर चले जाते थे,
    और हम अपने आंसुओं में भी उन्हें ही ढूंढते रहे…
    वो कहते थे, “तुम ही हो मेरा जहां”,
    हमने भी खुद को खुदा समझ लिया वहाँ,
    पर नासमझ थे हम…
    इश्क़ के नाम पर वो सिर्फ खेल खेलते रहे यहां…
    हर वादा उनका झूठ निकला,
    हर कसमें उनकी राख बन गई,
    हम सोचते रहे वो हमारे हैं,
    पर असल में तो वो किसी और के साथ सज गई…
    हमने तो दर्द में भी उन्हें पुकारा,
    उन्होंने हर बार उस पुकार का मज़ाक बनाया,
    जब दिल टूटा तो आवाज़ नहीं आई,
    बस एक खामोशी थी, जिसने सब कुछ बताया…
    अब वो हाथ किसी और का थामे हैं,
    और हम आज भी खाली हाथ रोते हैं,
    जिस फूल को हम इश्क़ समझते थे,
    उसी से अब कांटे चुभते हैं…
    (अंतिम पंक्तियाँ)
    अगर कभी मेरी याद आए तो मत लौटना,
    अब दिल वो नहीं… जो फिर से टूटने को तैयार हो,
    तेरे लिए आज भी मोहब्बत ज़िंदा है शायद,
    पर अब वो मोहब्बत… तुझसे नहीं, बस तेरी गैर-मौजूदगी से है…

    4. Trending Sad Shayari 2025

    “हमने किसी को सब कुछ समझा…”
    हमने किसी को सब कुछ समझा,
    अपनी हर ख़ुशी, हर ख्वाब उसके नाम कर दिया,
    पर हम उसके लिए कुछ भी न थे…
    बस एक वक़्ती कहानी थे, जिसे वो यूँ ही छोड़ गया…
    हमने तो उसकी मुस्कान में खुदा देख लिया था,
    उसके एक “हाँ” में ज़िंदगी जी ली थी,
    पर उसे तो हमारी मौजूदगी का भी इल्म नहीं था,
    हम कब टूटे, कब गिरे… उसे फर्क ही नहीं पड़ा…
    अब ये सबक साँसों पर खुद ही लिख लिया है,
    कि हर मुस्कराहट के पीछे प्यार नहीं होता,
    कभी-कभी वो लबों की चालाकी होती है,
    जो किसी मासूम दिल को मिट्टी बना देती है…
    हम चुप रहे… क्योंकि हम उसे खोना नहीं चाहते थे,
    वो खामोश रहा… क्योंकि उसे हमें पाना ही नहीं था,
    हम रिश्तों में मोहब्बत तलाशते रहे,
    और वो बस मौक़ा…
    हमने हर आंसू को इबादत बना दिया,
    हर इंतज़ार को इश्क़ का नाम दे दिया,
    पर उस इंसान ने तो बस हमारी मासूमियत से खेला,
    और हमें हर दिन मार डाला… धीरे-धीरे…
    अब कोई उम्मीद नहीं, कोई शिकवा भी नहीं,
    बस कुछ अधूरी साँसें हैं… और बहुत सी खामोशियाँ,
    जो हर रात पूछती हैं —
    “क्या वाकई हम इतने गैर थे…?”
    (अंतिम पंक्तियाँ)
    आज भी उसकी तस्वीर सीने से लगाकर सो जाते हैं,
    शायद रूह को थोड़ा सुकून मिल जाए,
    पर ये दिल जानता है…
    वो कभी अपना था ही नहीं… और अब कभी होगा भी नहीं…अगर आप इस तरह के शायरी पसंद करते है तो हमारे साथ बने रहें ।

5. मैंने कहा वो अजनबी है…”

मैंने कहा वो अजनबी है,
दिल ने कहा — ये तो दिल की लगी है…
मैंने कहा — वो तो भीड़ में एक चेहरा है,
दिल बोला — नहीं… वो ही तो मेरी दुनिया की वजह है…

मैंने कहा — वो एक सपना है,
दिल ने कहा — फिर भी अपना है,
मैंने कहा — यूँ ख्वाबों पे क्या यकीन करना,
दिल बोला — कभी-कभी ख्वाब ही तो सबसे सच्चे होते हैं ना…

मैंने कहा — वो दो पल की मुलाकात है,
दिल ने कहा — यही तो सदियों का साथ है,
मैंने कहा — वो चला गया… अब क्या बचा?,
दिल बोला — उसकी यादें… जो आज भी साँसों में बसी हैं हर पल…

मैंने कहा — वो मेरी भूल है,
दिल ने कहा — फिर भी कबूल है,
मैंने कहा — उस पर ऐतबार करना मेरी सबसे बड़ी गलती थी,
दिल बोला — कुछ गलतियाँ… मोहब्बत की निशानियाँ होती हैं…

मैंने कहा — वो मेरी हार है,
दिल ने कहा — यही तो सच्चा प्यार है,
मैंने कहा — अब दर्द ही दर्द है इस राह में,
दिल बोला — हाँ… मगर ये दर्द भी उसी के नाम का है…

(अब भावनाओं की गहराई और बढ़ाते हुए)

मैंने कहा — अब और मत तड़पा मुझे,
दिल बोला — कैसे कह दूँ कि उसे भुला दूँ?
वो धड़कनों में छुपा है, हर सांस में बसा है,
वो गया नहीं… बस अब नजर नहीं आता…

मैंने कहा — उसने तो कभी पलटकर भी नहीं देखा,
दिल बोला — फिर भी मेरी आंखें सिर्फ उसी को ढूंढती हैं…
मैंने कहा — अब तन्हा रहना सीख गया हूँ,
दिल बोला — पर हर तन्हाई में अब भी उसी की सिसकी सुनाई देती है…

(अंतिम पंक्तियाँ)

मैंने कहा — अब मोहब्बत से डर लगता है,
दिल बोला — तब भी वो ही आखिरी नाम है जो जीने की वजह देता है…
मैंने कहा — अब बस कर… बहुत सह लिया,
दिल बोला — चलो आखिरी बार… उसे याद कर लें… फिर हमेशा के लिए चुप हो जाएंगे…वह जरूर याद करेगी ।



6.“मेरे सर पर दुपट्टा जिसको अच्छा लगता था…”

मेरे सर पर दुपट्टा जिसको अच्छा लगता था,
कल तक जो मेरी शर्म को अपना फخر कहता था…
वो एक रोज़…
मेरे बदन के तिल गिनने की ज़िद कर बैठा…

जिसने कहा था – “तू मेरी इज़्ज़त है”,
आज वही… मेरी रूह को नज़रअंदाज़ कर बैठा।
जिसने हर बार मेरी आँखों में खुदा देखा था,
आज उन्हीं आँखों में हवस की परछाइयाँ छोड़ गया…

मैं सोचती रही — ये वही है ना, जो मुझसे वादा करता था?
जो कहता था — “तू मेरी माँ के जैसी पाक है…”
फिर क्यों आज…
वो मेरी पाकी को नोंचने की ख्वाहिश कर बैठा?

जिसने दुपट्टे को ढाल समझा था,
उसी ने आज उसे गिरा दिया…
जिसने कहा था “तेरे सिवा कुछ नहीं चाहिए”,
आज वही… मेरी खामोशी का सौदा कर गया…

मैंने उसकी मोहब्बत को सजदा समझा,
पर वो तो सिर्फ़ मौका ढूँढता रहा…
मैंने उसे अपना सब कुछ माना,
और वो… मुझे बस एक जिस्म समझता रहा…

अब साँसें भी डरती हैं किसी नाम लेने से,
अब आँखे भी भर आती हैं किसी वादे को सुनने से,
अब कोई “तू मेरी इज़्ज़त है” कहे,
तो दिल काँप जाता है… कि अगला पल क्या छीन लेगा…

(अंतिम पंक्तियाँ)
जो मुझे सर आँखों पर बिठाता था,
आज उसी की नज़रों में मैं बोझ बन गई,
जिसने कहा था — “मैं तुझसे प्यार करता हूँ”,
आज समझ आया…
वो प्यार नहीं था, बस एक चाहत थी… जो जिस्म तक सीमित थी…



7. “ज़िंदगी में दो मिनट कोई मेरे पास न बैठा…”

ज़िंदगी में दो मिनट कोई मेरे पास न बैठा,
हमने तो सिर्फ़ थोड़ी सी तवज्जो माँगी थी,
पर हर कोई अपनी ज़िंदगी में मशगूल था,
हम अपनी तन्हाई से बातें करते रहे…

कभी किसी के चेहरे को देख मुस्कुरा दिए,
तो लोग समझे — हमें कोई ग़म नहीं।
किसी से दिल की बात कहने का सोचा,
तो होंठ खुद-ब-खुद चुप रह गए…

आज… जब इस जिस्म ने साँसें छोड़ दी,
तो सब गले लगाने आ गए।
जो कल तक आंखें मिलाने से कतराते थे,
वो आज मेरी पलकों को बंद कर रहे हैं।

कोई तोहफा न मिला आज तक —
ना जन्मदिन पर, ना किसी ख़ुशी में,
और आज…
मेरे चारों ओर फूल ही फूल सजाए जा रहे हैं।

जब ज़िंदा थे — तो ज़ख्म मिले,
जब मरे — तो सजावट मिली।
ये कैसी दुनिया है…?
जहाँ मौत तक का सम्मान
ज़िंदगी में एक सम्मान से ज़्यादा कीमती है।

दो कदम साथ चलने को कोई तैयार न था,
हर मोड़ पर अकेले छूटते चले गए हम।
और आज…
हमारे पीछे काफ़िला चल पड़ा है,
हर कोई चल रहा है —
“अलविदा” कहने को…

तरस गए थे हम किसी एक हाथ के लिए,
कभी बीमार पड़े तो हाल पूछने वाला भी न मिला…
और आज…
चार कंधे हमारे लिए उठ खड़े हुए हैं।
हर कोई हमारे लिए आँसू बहा रहा है…

क्या मौत इतनी हसीन होती है…?
या ज़िंदगी इतनी बेरहम…?

अब समझ आया —
कि जीते जी जो दर्द मिला,
वो किसी की फुर्सत में नहीं था,
पर मरते ही सबको हमारे लिए वक़्त मिल गया…


अंतिम पंक्तियाँ – सबसे भावुक हिस्से में ,,

काश…
एक बार कोई जीते जी इतना कह देता —
“तू अकेला नहीं है…”
तो शायद आज भी सांसें चल रही होतीं…

काश…
किसी ने मरने से पहले पूछ लिया होता —
“ठीक हो ना?”
तो शायद ये सफ़र आज न होता…

अब जब तुम सब आए हो,
तो रुक जाना कुछ देर…
देखो तो सही,
जिसे तुमने कभी समझा नहीं —
वो आज कितनी खामोशी से सब कुछ कह गया…



8. “वो मेंहदी लगे हाथ दिखा के रोई…”

वो मेंहदी लगे हाथ दिखा के रोई,
कांपती आवाज़ में बोली —
“मैं किसी और की हूँ…”
और फिर होंठ काटते हुए,
बस इतना बता के रोई…

मैंने पूछा —
“कौन है वो खुशनसीब…?”
तो वो चुप रही,
सिर्फ़ अपने हथेली की लकीरों को देखती रही,
जहाँ मेरी जगह किसी और का नाम लिखा था…
और वो मेहंदी से लिखा नाम
पानी में भीगता रहा…
वो उसे दिखा के रोई…

शायद…
उम्र भर की जुदाई का ख्याल आया था उसे,
जो कभी मेरी बाहों में सुकून पाती थी,
आज वही मेरे पास बैठकर
सिसक-सिसक के रोई…

“कभी कहती थी — मैं न जी पाऊँगी बिन तुम्हारे…”
और आज यही बात बार-बार दोहरा रही थी,
पर इस बार उसकी आँखों में
वो हौसला नहीं,
बस टूटी हुई मोहब्बत थी…

मैंने उसका हाथ पकड़ना चाहा,
तो वो काँप उठी —
शायद अब किसी और की अमानत थी वो…
पर दिल… दिल आज भी मेरा ही था,
जो उसकी हर गिरती आँसू की आवाज़ सुन रहा था।

वो बोली — “मैं बेकसूर हूँ…”
“कुदरत का फैसला है ये…”
“घर वालों के सामने हार मान गई मैं…”
“जो तेरे साथ जीने के ख्वाब देखती थी,
आज उन्हीं ख्वाबों की चिता जलाकर आई हूँ…”
और ये कहकर…
लिपट के मुझसे वो बस इतना बता के रोई…

अब बताओ दोस्तों…
मैं उसकी मोहब्बत पर कैसे शक करूं…?
वो आज भी मुझसे उसी तरह प्यार करती है,
पर किस्मत ने बीच में ऐसा पर्दा डाल दिया
कि अब हम बस एक-दूसरे के लिए रो सकते हैं…

भरी महफ़िल में, अपनी सगाई के शोर के बीच…
वो सबसे नजरें चुराकर
मुझे गले लगाकर रोई…

वो आज भी मेरी थी…
पर ‘थी’ शब्द जितना छोटा है,
उसमें उतना ही बड़ा दर्द समाया है…


अंतिम लाइन –
“जिसकी दुआओं में मेरा नाम था कभी…
आज उसकी मांग में किसी और का सिंदूर है…”




9. “चार दिन की ज़िंदगी है…”

चार दिन की ज़िंदगी है…
किसी को यूँ नाराज़ मत कर…
क्या पता जिसे तू आज थका-थका सा देखकर नजरअंदाज़ कर रहा है,
वही कल इस दुनिया में ना हो…

कोई तुझसे प्यार से कुछ माँगे…
तो बस मुस्कुरा देना…
क्योंकि आजकल मोहब्बत माँगने वाले बहुत कम हैं…
बाकी सब तो सिर्फ इस्तेमाल करते हैं…

इंकार करने से पहले सोच लेना,
जिसे तू ठुकरा रहा है,
शायद वो हर रोज़ तेरे नाम से दुआ मांगता हो…

अक्सर बाग़ों में लिखा होता है —
“फूल तोड़ना मना है”
काश…
दिलों पर भी लिखा होता —
“दिल तोड़ना मना है…”

क्योंकि फूल तो फिर भी दोबारा खिल जाते हैं…
पर जो दिल एक बार टूटता है…
वो अंदर ही अंदर दम तोड़ देता है।

तेरा एक झूठा वादा,
किसी की नींदें छीन सकता है।
तेरी एक बेरुखी,
किसी को ज़िंदा होते हुए भी मार सकती है।

क्या मिलेगा तुझे किसी को रुलाकर…?
जिस दिल को तू खेल समझकर तोड़ रहा है,
शायद वो दिल तुझे अपनी दुनिया मानता हो।

कभी किसी की मुस्कराहट के पीछे का दर्द समझने की कोशिश कर…
क्योंकि जो लोग सबसे ज़्यादा हँसते हैं,
वो अक्सर सबसे ज़्यादा टूटे होते हैं।

इसलिए…
चार दिन की ज़िंदगी है,
कुछ ऐसा कर… कि तेरे जाने के बाद भी,
लोग तुझे मोहब्बत से याद करें…

नफ़रत की निशानी मत बन…
किसी के टूटे हुए ख्वाबों की वजह मत बन…

प्यार बाँट… सुकून बाँट… दुआओं में जिया कर…
क्योंकि इस दुनिया में सबसे कीमती चीज़,
किसी की “दुआ” है…




10. “सब कुछ मिट जाएगा मेरे अंदर से… लेकिन तुम… कभी नहीं मिटोगे।”

हाँ…
एक-एक ख्वाब बुझ जाएगा मेरी आंखों से,
सारे रंग उतर जाएंगे मेरी ज़िंदगी से,
हर खुशी, हर उम्मीद धीरे-धीरे मर जाएगी…

पर तुम
तुम नहीं जाओगे मुझसे…

तुम मेरी हर साँस में हो…
जो आती है… तो तुम्हारा नाम लेकर आती है,
और जाती है… तो तुम्हारा एहसास लेकर जाती है…

मुझे मेरी आती-जाती सांसों की कसम…
मुझे तुमसे मोहब्बत थी,
मोहब्बत है,
और तब तक रहेगी…
जब तक मेरी आखिरी सांस इस दुनिया से रुख़सत नहीं हो जाती।


लोग पूछते हैं —
“क्या अब भी उसे याद करते हो…?”
कैसे समझाऊँ उन्हें…
जिसे मैंने दिल में नहीं… रूह में बसाया हो,
उसे कोई कैसे भूल सकता है?

तू चाहे किसी और की हो जाए,
मेरे अंदर तो तू ही ज़िंदा रहेगी…
जिस्म खत्म हो सकता है…
पर जो प्यार रगों में दौड़ता है,
वो कैसे मिटेगा?


कभी वक्त मिले तो पलट के देखना…
वो कौन था जो तेरे हर इंकार पर भी मुस्कुराता था,
जो तुझसे मिलने के लिए हर दर्द हंसकर सहता था…

जिसने तेरी “खुशी” के लिए अपनी “ज़िंदगी” छोड़ दी…

तू मुझे खो चुकी है…
पर मैं तुझे आज भी उसी तरह चाहता हूँ,
जिस तरह बारिश चाहती है मिट्टी को…
जिस तरह रूह चाहती है खुदा को…


“सब कुछ मिट जाएगा एक दिन…”
मेरी पहचान, मेरी हँसी, मेरी बातें…
शायद मेरी कब्र पर नाम तक मिटा दिया जाए…

पर एक चीज़ जो अमर रहेगी —
वो मेरी मोहब्बत होगी…
जो मैंने सिर्फ “तुमसे” की थी…
सच्चे दिल से… आखिरी सांस तक…


अंतिम पंक्तियाँ –
“अगर कभी मेरी कमी महसूस हो…
तो उस हवा से पूछ लेना…
जो तेरे चेहरे को छूकर जाती है…
उसमें आज भी मेरा प्यार घुला होगा…”
Writing by Sohan Lal. Instagram @singer_sohan3335


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