उसकी याद भूलने के लिए
अगले दिन रोने लगे…
लोग मुझे उठाने के लिए.. बहुत दर्दनाक शायरी है, जरा संभलकर पढ़ना । कहीं रोना न आ जाए ,,

बहुत ही गहरी और दर्दभरी भावना है आपकी इन पंक्तियों में। अब मैं इसे एक पूरी भावनात्मक, दिल को छू लेने वाली और रुला देने वाली शायरी में बदल रहा हूँ — जिसे आप 3 मिनट की रील में इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें एक टूटे हुए आशिक की आखिरी रात, उसकी तन्हाई, उसकी मोहब्बत और उसका जाना — सब कुछ बहुत ही दर्दभरे लहजे में बयान किया गया है।
“एक रात सोया था मैं…
सिर्फ एक रात…
उसी की यादें लिए,
उसे भुलाने की कोशिश में…
थक गया था…
टूट गया था…
सोचा था, नींद शायद थोड़ी राहत दे दे…”
“मैंने तकिये से कहा —
आज सिर्फ चुप रहना,
क्योंकि आँखों की भी हिम्मत नहीं रही अब बहने की।
मैंने दिल से कहा —
बस अब और नहीं…
आज की रात सो जाने दे मुझे
शायद कल कुछ बदल जाए…”
“पर क्या पता था —
अगली सुबह बदल तो सब गया,
पर मेरी सांसें ही न रहीं।
अगली सुबह लोग दरवाज़ा खटखटा रहे थे…
किसी ने कहा — ‘उठो ना यार!’
किसी ने कहा — ‘इतना गहरा सोता कौन है?’
और किसी ने बस मेरी ठंडी उंगलियों को पकड़कर रो दिया…”
“वो जो कहते थे — ‘हंस लिया कर यार!’
वो उस दिन खुद फूट-फूटकर रो रहे थे।
वो जो कहते थे — ‘सब ठीक हो जाएगा…’
आज कह रहे थे — ‘काश, हमने ध्यान दिया होता!’
मैं सोया था एक रात…
और सुबह लोग मुझे उठाने नहीं,
मुझे ले जाने आए थे…”
“वो तस्वीर जो मैं हमेशा सीने से लगाकर रखता था,
अब मेरे कफन में रख दी गई थी।
वो खत, जो कभी लिखा था उसके लिए —
अब मेरा आखिरी ख़त बन गया।
कोई पूछ रहा था — ‘क्यों गया?’
पर कोई नहीं जानता — मैं कब से मर रहा था हर रोज़…”
“जिसे चाहा उसे पा न सके,
जिसके लिए जिया, उसी के बिना मर गए।
मेरी नींद अब कभी नहीं खुलेगी…
पर शायद उसकी नींद अब टूटी होगी —
जब उसे पता चलेगा कि मैं अब कभी लौट के नहीं आऊंगा…”
“हां… एक रात सोया था मैं…
उसे भूलने के लिए…
और अगली सुबह —
लोग रोने लगे मुझे उठाने के लिए…”
“अब जो कभी नींद आएगी,
तो ताउम्र होगी —
क्योंकि अब कोई ख्वाब नहीं,
कोई शिकायत नहीं…”
ऐसे ही नए नए शायरी के लिए हमारे साथ बने रहें ,,,