
लड़की की शादी में गया था मैं…
कोई तमाशा करने नहीं,
कोई हंगामा मचाने नहीं,
बस उसकी खुशियों का आख़िरी मंजर देखने गया था मैं।
दिल में तूफान था, चेहरे पर खामोशी थी,
हर मुस्कान में मेरा ग़म छुपा हुआ था,
मैं खुद को समझा रहा था —
“अब वो मेरी नहीं रही… पर खुश तो है ना…?”
वो सजी थी किसी और के नाम के लिए,
जिस लड़की के कंगन की खनक से मेरी सुबह होती थी,
आज वो किसी और की किस्मत की लकीर बन चुकी थी…
जब पहली बार उसके हाथ किसी और ने थामे,
तो मेरी रूह तक कांप उठी थी…
पर मैं चुप रहा…
क्योंकि वादा किया था खुद से —
उसकी खुशी में रोने का हक़ सिर्फ मुझे होगा,
शोर मचाने का नहीं…
जब लड़के ने उसके माथे पर सिंदूर लगाया,
तो मेरी निगाहें ज़मीन में गड़ गईं…
क्योंकि अब उसके माथे पर मेरा नाम नहीं,
किसी और का “हक़” लिखा जा चुका था…
उसके बड़े भाई ने मुझे घूरा,
घरवालों ने कुर्सियाँ घसीट दीं,
पर मैं खड़ा रहा…
मैं कोई मेहमान नहीं था वहां,
मैं अधूरी मोहब्बत की आख़िरी सास था…
जब उसने लाल चुनरी में मुंह छिपाया,
तो लगा जैसे उसने मेरे इश्क़ को दफ़ना दिया हो…
और जब उसके पाँव डोली की ओर बढ़े,
मेरी सांस अटक गई…
बस एक ही बात फरिश्ते से कह पाया —
“थोड़ा सब्र कर ऐ मौत…
बस उसकी विदाई देख लेने दे,
फिर जहां चाहे ले चल मुझे…”
क्योंकि इस दुनिया में अब कुछ बाकी नहीं,
जिसे मैं अपना कह सकूं…
जिसके लिए अब जिया जा सके…
अब बस वही तस्वीर आँखों में है —
उसकी वरमाला… उसकी हँसी…
और मेरा टूटना…
और जब कोई पूछता है —
“कहाँ गया था उस दिन?”
मैं बस मुस्कुरा कर कहता हूँ —
“मैं उसके खुशहाल कल की कसम खाने गया था…”
❤️🔥 इसी को कहते हैं अधूरी मोहब्बत की आखिरी हाजिरी…अगर आप इसी तरह की जबरदस्त हिन्दी लव स्टोरी चाहते हैं तो हमारे साथ जुड़े रहें।